Sunday, October 10, 2021

Miracles of Maa Durga- Part 2


पिछले जन्म की एक अपूर्व की कहानी जिस पर अष्टभुजा मां दुर्गा के चमत्कार और साधना से जुड़ा खूबसूरत प्रसंग है।


पिछले अंक में पूजा के पीछले जन्म में, उत्तराखंड के व्यापारी की कहानी आपने पढ़ी, उसी कड़ी का अगला भाग आज पोस्ट कर रहा। पिछला भाग आप मेरे ब्लाग में पढ़ सकते है।


PART-2


मेरे प्रश्न करते ही, पूजा जोर से शुउ ऊऊऊ की आवाज़ करती है। मैं उसे सुरक्षित करने की कमांड करता हूं। और फिर प्रश्न करता हु, फिर क्या होता है? उत्तर सुनके मेरे रोंगटे खड़े हो जाते है।


पूजा- जैसे ही वो मुझे कुँए में फेकते है, कोई मुझे हाथो में पकड़ लेता है। 


विवेक- कौन पकड़ता है, दृश्य को अच्छे से देखो।


पूजा- कोई अष्टभुजा वाली देवी है, मुझे आठो भुजाओ से पकड़ के, ऊपर ले आती है, जैसे माँ बच्चे को पकड़ के। 


विवेक- कौन देवी है ये, कुआँ में गिरने के बाद पकड़ती है वो। 


पुजा- पानी मे गिरते साथ ही वो हाथ मुझे ऊपर उठाने लगता है। ये अष्टभुजा माँ काली है। 


विवेक- फिर क्या होता है।


पूजा- मुझे वो उठा के कुंआ के पास छोड़ देती है, मैं बच जाता हूं, मेरे लोग आ जाते है, मुझे वहा से बचाकर घर ले जाते है।


विवेक- फिर क्या होता है।


पूजा- अब मेरा मन धन और व्यापार से ऊब गया है, मेरा मन बार बार माँ का ही स्मरण में लगा रहता है। घर के पास ही एक मंदिर है, उसमे अष्टभुजा माँ काली को विशालकाय मूर्ति है। मै सुबह शाम यही जाप करता हूँ । एक सूती की धोती ही है, माला है, तिलक है। 


विवेक- व्यापार के क्या होता हैं, जो लोग तुम्हे मारते है वो कौन थे।


पूजा- अब कोई साहूकारी नही है, सब बच्चो को सौप दिया। जिह्नोंने मारा था उनसे भी कोई शिकवा नही। उनके कारण ही तो माँ की शरण में आया। सिर्फ मै और भगवती ही है। दिन रात सिर्फ उन्हीं का जाप चलता है।


विवेक- मृत्यु कैसे होती है।


पूजा- एक चारपाई है, निचे एक लौटा है, हाथ मे माला है, जाप चल रहा है। और प्राण निकल आते है।


विवेक- मृत्यु के बाद देखो सबक है।


पूजा- इस जन्म को मैंने माँ की सेवा के लिए ही चुना है, धन कमाने में इतना मसगुल हो गया था कि मुझे सेवा का ध्यान ही नही था। कुँआ की घटना से मुझे मेरे पथ याद आया।


विवेक- माँ से पूछो, वो कैसे प्रसन्न होती है।


पूजा- वो सच्चे हृदय से की गई पूजा से प्रसन्न होती है, जिसके हृदय में प्रेम होता है भगवती का उससे वो प्रसन्न होती है। मंत्र और यंत्र से नही, सच्चे भाव से वो प्रसन्न होती है। मनुष्य जीवन सीखने के लिए मिला है, इसको जितना अच्छे कार्य मे लगा पाओ अच्छा। 



आगे फिर दूसरे जन्म में मैं उसे ले जाता हूँ, इस सेशन में माँ का चमत्कार, वो कुँआ की घटना वाला मेरे लिए आश्चर्यजनक था, बहुत से लोगो के प्रसंग सुने थे, लेकिन सेशन के दौरान उस ऊर्जा को मैं महसूस कर पा रहा था। ऐसे और भी खूबसूरत अनुभव है, वक़्त रहा तो अगली बार लिखूंगा।


पिछला अंक पढ़ने के लिए निचे दी गयी लिंक क्लिक करे।


https://www.grandmasterviveksharma.com/2021/10/miracles-of-maa-durga-from-my-akashic.html?m=1


©विवेक शर्मा

9937869363


( नोट- कहानी के सर्वाधिकार मेरे AKASHIC INTELLIGENCE ACCESS AIA के शोध किताब के लिए सुरक्षित है। आप इस कहानी को मेरे नाम, और लिंक के साथ ऐसे ही शेयर कर सकते है।)


विवेक

अनंत प्रेम

अनंत प्रज्ञा

MIRACLES OF MAA DURGA FROM MY AKASHIC SESSION

पिछले जन्म की एक अपूर्व की कहानी जिस पर अष्टभुजा मां दुर्गा के चमत्कार और साधना से जुड़ा खूबसूरत प्रसंग है।


मेरे आकाशीय विद्यमता प्रतिगमन (AIA) और पिछले जन्म के सेशन मे बहुत सारे प्रसंगों में, मेरा सामना देवी माँ से होता है, उसमें बहुत सारी चमत्कारी कहानियां है उन्हीं चमत्कारिक कहानियों में से आज एक कहानी में आपके सामने पेश कर रहा हूं।


AKASHIC INTELLIGENCE ACCESS-part 1

अष्टभुजा माँ का चमत्कार


कुछ माह पहले ही मैंने यह सेशन लिया था एक महिला को उसके पिछले जन्म में ले जाने के दौरान। उसके पूर्व जन्म की यह कहानी बहुत सुंदर है उस महिला को जब मैं पिछले जन्म की यात्रा में ले गया तो वह अपने पिछले जन्म की कहानी कुछ इस तरह से मुझे बताने लगी।


विवेक- क्या दिख रहा है?


पूजा- एक आलीशान मकान है, महल जैसा।


विवेक- कौन सी जगह है ये? और कौन सी सन है?


पूजा- चौदहवी सदी के उत्तराखंड का एक बड़ा शहर है।


विवेक- क्या नाम है तुम्हारा? और क्या काम करते हो?


पूजा- सेठ शिखर चन्द्र लकड़ी का कारोबार उनका चारों ओर फैला है। घर पर खूब सारे नौकर चाकर रहते है। 


विवेक- आगे बढ़ते चलो।


पूजा- खाना मैं चांदी के बर्तन पर खाता हूँ, दिन रात नौकर चाकर उनकी सेवा करते है, जैसे ही आसन से उठता हूँ, नौकर लोग गर्म पानी से पैर धोने आ जाते है। 


विवेक- आगे बढ़ो।


पूजा- धन से भी समृद्ध होने के साथ-साथ  राजदरबार में भी बहुत पेठ है मेरी। महामंत्री के बाद तीसरा ओहदा मेरा है। राज्य का वित्तीय लेनदेन मैं देखता हूँ। दरबार में कोई भी काम धन से जुड़ा हुआ मेरी आज्ञा के बिना नहीं होता था। राजा हर महत्वपूर्ण चर्चा पर मुझसे चर्चा करते थे जिससे दूसरे मंत्री लोग मेरे से बहुत जलते थे। मेरे ओहदे से वो चिढ़ते है।


विवेक- एक महत्वपूर्ण घटना में जाओ।


पूजा-  जंगल से में गुजर रहा हूँ, घोड़ागाड़ी में। अंधेरा हो गया है।

अचानक कुछ लोग रोकते है हमे, मुझे दो लोग बांध देते है। बांध के एक अंधेरे कुएं में फेंक रहें है। घना अंधकार है, चारो और घना अंधकार है।

विवेक- कुंआ में पानी है?


पूजा- हाँ, आधा पानी है।


विवेक- फिर क्या होता है, तुम मर जाती हो? 


मेरे प्रश्न करते ही, पूजा जोर से शुउ ऊऊऊ की आवाज़ करती है। मैं उसे सुरक्षित करने की कमांड करता हूं। और फिर प्रश्न करता हु, फिर क्या होता है? उत्तर सुनके मेरे रोंगटे खड़े हो जाते है।

शेष अगले अंक में.......

विवेक

अनंत प्रेम

अनंत प्रज्ञा


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