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Saturday, November 27, 2021

भैरव तांडव स्त्रोत


अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्ठमी तिथि को महाकाल भैरव अष्टमी मनाई जाती है. आज भैरव अष्टमी शनिवार, 27 नवंबर को है। काल भैरव, भगवान शिव का रूप हैं और इनकी पूजा करने से किसी को भय नहीं सताता। अगर आप शनि, राहु जैसे पापी ग्रहों की वजह से परेशान हैं, गरीबी आपका पीछा नहीं छोड़ रही है, किसी तरह की शारीरिक, आर्थिक और मानसिक समस्याओं से परेशान हैं तो आपको काल भैरव का ये पाठ करना चाहिए।


शास्त्रों में प्रमुखता से भगवान् शिव को ही तांडव स्वरूप का प्रवर्तक बताया गया है। परंतु अन्य आगम तथा काव्य ग्रंथों में दुर्गा, गणेश, भैरव, श्रीराम आदि के तांडव का भी वर्णन मिलता है। लंकेश रावण विरचित शिव ताण्डव स्तोत्र के अलावा आदि शंकराचार्य रचित दुर्गा तांडव (महिषासुर मर्दिनी संकटा स्तोत्र), गणेश तांडव, भैरव तांडव एवं श्रीभागवतानंद गुरु रचित श्रीराघवेंद्रचरितम् में राम तांडव स्तोत्र भी प्राप्त होता है। मान्यता है कि रावण के भवन में पूजन के समाप्त होने पर शिव जी ने, महिषासुर को मारने के बाद दुर्गा माता ने, गजमुख की पराजय के बाद गणेश जी ने, ब्रह्मा के पंचम मस्तक के च्छेदन के बाद आदिभैरव ने एवं रावण के वध के समय श्रीरामचंद्र जी ने तांडव किया था।



नित्य भैरव तांण्डव स्तोत्र का पाठ करने वाला साधक काव्यशक्ति, विद्धान, वाणी व वाक् सिद्धि को प्राप्त करता है और अकाल मृत्यु के भय से आजीवन दूर रहता है


     ।। अथ भैरव तांण्डव स्तोत्र ।।


1- ॐ चण्डं प्रतिचण्डं करधृतदण्डं कृतरिपुखण्डं सौख्यकरम् ।


लोकं सुखयन्तं विलसितवन्तं प्रकटितदन्तं नृत्यकरम् ।।


डमरुध्वनिशंखं तरलवतंसं मधुरहसन्तं लोकभरम् ।


भज भज भूतेशं प्रकटमहेशं भैरववेषं कष्टहरम् ।।



2- चर्चित सिन्दूरं रणभूविदूरं दुष्टविदूरं श्रीनिकरम् ।


किँकिणिगणरावं त्रिभुवनपावं खर्प्परसावं पुण्यभरम् ।।


करुणामयवेशं सकलसुरेशं मुक्तशुकेशं पापहरम् ।


भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्री भैरववेषं कष्टहरम् ।।



3- कलिमल संहारं मदनविहारं फणिपतिहारं शीध्रकरम् ।


कलुषंशमयन्तं परिभृतसन्तं मत्तदृगृन्तं शुद्धतरम् ।।


गतिनिन्दितहेशं नरतनदेशं स्वच्छकशं सन्मुण्डकरम् ।


भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्रीभैरववेशं कष्टहरम् ।।



4- कठिन स्तनकुंभं सुकृत सुलभं कालीडिँभं खड्गधरम् ।


वृतभूतपिशाचं स्फुटमृदुवाचं स्निग्धसुकाचं भक्तभरम् ।।


तनुभाजितशेषं विलमसुदेशं कष्टसुरेशं प्रीतिनरम् ।


भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्रीभैरववेशं कष्टहरम् ।।



5- ललिताननचंद्रं सुमनवितन्द्रं बोधितमन्द्रं श्रेष्ठवरम् ।


सुखिताखिललोकं परिगतशोकं शुद्धविलोकं पुष्टिकरम् ।।


वरदाभयहारं तरलिततारं क्ष्युद्रविदारं तुष्टिकरम् ।


भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्रीभैरववेषं कष्टहरम् ।।



6- सकलायुधभारं विजनविहारं सुश्रविशारं भृष्टमलम् ।


शरणागतपालं मृगमदभालं संजितकालं स्वेष्टबलम् ।।


पदनूपूरसिंजं त्रिनयनकंजं गुणिजनरंजन कुष्टहरम् ।


भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्री भैरव वेषं कष्टहरम् ।।



7- मदयिँतुसरावं प्रकटितभावं विश्वसुभावं ज्ञानपदम् ।


रक्तांशुकजोषं परिकृततोषं नाशितदोषं सन्मंतिदमम् ।।


कुटिलभ्रकुटीकं ज्वरधननीकं विसरंधीकं प्रेमभरम् ।


भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्रीभैरववेषं कष्टहरम् ।।



8- परिर्निजतकामं विलसितवामं योगिजनाभं योगेशम् ।


बहुमधपनाथं गीतसुगाथं कष्टसुनाथं वीरेशम् ।।


कलयं तमशेषं भृतजनदेशं नृत्य सुरेशं वीरेशम् ।


भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्रीभैरववेषं कष्टहरम् ।।



ॐ।। श्री भैरव तांण्डव स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ।।ॐ



Tuesday, May 25, 2021

Narsingh mantra to remove all kind of obstacles


आज नृसिंह जयंती मनाई जा रही है. ये जयंती वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।


भगवान नृसिंह की कहानी में ही हमारे मोक्ष का मार्ग छिपा है। प्रह्लाद जैसी सरल हमारी आत्मा है, बिल्कुल बच्चे जैसी निःस्पृह। हिरण्यकश्यपु हमारा अहंकार है, आत्मा जब अहंकार रूपी शरीर में बंधती है तो वो माया का पाश है फँसी होती है।


हिरण्यकश्यपु को वरदान था ना वो घर के अंदर (शरीर) मरे ना बाहर (शरीर से मुक्त),


और इस माया को ना शरीर से बंध के ना शरीर के बाहर काटा जा सकता है, 


जब सरल हृदय से प्रह्लाद बन के हम उस अनंत ऊर्जा का ध्यान करते है, तब वो पशु से मानव बन कर हमें सांसो को डोरी (दहलीज) जो शरीर (घर) और निशरीर (घर के बाहर) को जोड़ती है, के हृदय को फाड़ कर, ( भक्ति के मार्ग से अपने पूरे हृदय को खोलना) हमे मोक्ष के मार्ग में ले जाती है।


भगवान नृसिंह का तारण मंत्र


जब हृदय में भय व्याप्त हो, घोर अंधकार नजर आ रहा हो।

असमंजस की स्थिति हो, रात्रि में बुरे स्वप्न परेशान कर रहे हो। मृत्यु का भय सता रहा हो। आकाश और प्रकृति में महान उत्पातो का भय आ रहा हो। ऐसी स्थिति में भगवान श्री नृसिंह का स्मरण सारे दुःखो से छुटकारा दिलाने वाला माना जाता है। इनका हृदय में सिर्फ ध्यान ही भय को समाप्त करने वाला है। 


भगवान नृसिंह का सरल ध्यान-

जिनके शरीर की कांति सूर्य के समान चमकीले पर्वत के तुल्य है, जो अपने तेज़ से समस्त राक्षस गणों को डरा रहे हैं, जो अपने दोनों बाहुओं में शंख और चक्र धारण किये हुए है, जिनके बड़े बड़े दाँतो से युक्त मुखमंडल में ज्वाला उगलती हुई जीभ लपलपा रही है, जिनके समस्त बाल समूह ऊपर को खड़े है, ऐसे सर्वव्यापक भगवान श्री नृसिंह का मैं भजन करता हूं। 


अपने हृदय में भगवान नृसिंह का ध्यान करते हुए, निम्न मंत्र जो मुझे भगवान नृसिंह के ट्रांसमिशन के दौरान प्रकट हुआ था, का जाप करें। इस मंत्र में भगवान नृसिंह का सौम्य भाव है, जो भक्तो को भवसागर से तारने वाला है। 


भगवान नृसिंह का तारण मंत्र


अनंताय नमः, अच्युताय नमः, गोविन्दाय नमः , नृसिंहाय नमः



सरल हृदय से प्रह्लाद बन के इस मंत्र का जितना ज्यादा जाप हो सके करें, ये आपको हर प्रकार के संकट से मुक्ति दिलाने वाला होगा।


विवेक

अनंत प्रेम

अनंत प्रज्ञा


महाशक्ति रेडिएंस

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