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Wednesday, February 17, 2021

MANTRA JAGRUTI METHOD

सभी दिव्यात्माओं को आत्मनमन, आपने अलग अलग बहूत से मंत्रो का जाप किया होगा, लेकिन कई बार लाखो जाप के बाद भी मंत्र सिद्ध नहीं हो पाते, ऐसी परिस्थति में क्या किया जाये??
विवेक
इसके लिए हमारे शास्त्रो में मंत्र संस्कार का विधान है, इसके क्रिया के द्वारा ऐसा कोई मन्त्र नहीं जो सिद्ध ना किया जा सके। मंत्र संस्कार की गुप्त और संक्षिप्त जानकारी नीचे पोस्ट कर रहा।

मंत्र संस्कार
मंत्र जाप करने के भी कुछ नियम होते हैं। यदि आप उन नियमों का पालन करेंगे तो आपके घर में न केवल सुख-शांति आयेगी, बल्कि आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। ऐसे में आपको मंत्र संस्कार के बारे में भी जानना चाहिये। जातक को दीक्षा ग्रहण करने के बाद दीक्षिति को चाहिए कि वह अपने इष्ट देव के मंत्र की साधना विधि-विधान से करें। किसी भी मंत्र की साधना करने से पूर्व, उस मंत्र का संस्कार अवश्य करना चाहिए।
शास्त्रों में मंत्र के 10 संस्कार वर्णित है। मंत्र संस्कार निम्न प्रकार से है- 1-जनन, 2-दीपन, 3- बोधन, 4- ताड़न, 5- अभिषेक, 6-विमलीकरण, 7- जीवन, 8- तर्पण, 9- गोपन, 10-अप्यायन।
1-जनन संस्कार:- गोरचन, चन्दन, कुमकुम आदि से भोजपत्र पर एक त्रिकोण बनायें। उनके तीनों कोणों में छः-छः समान रेखायें खीचें। इस प्रकार बनें हुए 99 कोष्ठकों में ईशान कोण से क्रमशः मातृका वर्ण लिखें। फिर देवता को आवाहन करें, मंत्र के एक-एक वर्ण का उद्धार करके अलग पत्र पर लिखें। इसे जनन संस्कार कहा जाता है।
2- दीपन संस्कार:- ’हंस’ मंत्र से सम्पुटित करके1 हजार बार मंत्र का जाप करना चाहिए।
3- बोधन संस्कार:- ’हूं’ बीज मंत्र से सम्पुटित करके 5 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
4- ताड़न संस्कार:-’फट’ से सम्पुटित करके 1हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
5- अभिषेक संस्कार:- मंत्र को भोजपत्र पर लिखकर ’ऊँ हंसः ऊँ’ मंत्र से अभिमंत्रित करें,तत्पश्चात 1 हजार बार जप करते हुए जल से अश्वत्थ पत्रादि द्वारा मंत्र का अभिषेक संस्कार करें।
6- विमलीकरण संस्कार:- मंत्र को ’ऊँ त्रौं वषट’इस मंत्र से सम्पुटित करके 1 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
7- जीवन संस्कार:- मंत्र को ’स्वधा-वषट’ से सम्पुटित करके 1 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
8- तर्पण संस्कार:- मूल मंत्र से दूध,जल और घी द्वारा सौ बार तर्पण करना चाहिए।
9- गोपन संस्कार:- मंत्र को ’ह्रीं’ बीज से सम्पुटित करके 1 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
10- आप्यायन संस्कार:- मंत्र को ’ह्रीं’ सम्पुटित करके 1 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए। इस प्रकार दीक्षा ग्रहण कर चुके जातक को उपरोक्त विधि के अनुसार अपने इष्ट मंत्र का संस्कार करके,नित्य जाप करने से सभी प्रकार के दुःखों का अन्त होता है।
विवेक
अनंत प्रेम
अनंत प्रज्ञा

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