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Thursday, February 18, 2021

REIKI


सभी दिव्यात्माओ को आत्मनमन,

रेकी की ऊर्जा का प्रयोग प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि मुनि करते थे । प्राचीन भारत में न्यास योग एक ऐसी ही पद्धति थी । हाथों के द्वारा ऊर्जा का संचार करके बड़ी से बड़ी बिमारी ठिक की जाती थी । Dr. Usui के कारण ये ज्ञान फिर से पूरे विश्व में प्रवाहित हुआ ।
विवेक
सम्मोहन में आँखों से किसी को सम्मोहित करने की कला के बारे में अपने कई बार पढ़ा है लेकिन क्या वाकई अभ्यास मात्र से आप किसी को भी सम्मोहित करने में सक्षम हो जाते है. नहीं ! क्यों की शरीर की प्राण ऊर्जा का प्रवाह आँखों के अलावा हाथो के पोरुओ में भी बहती है.इसलिए अगर हाथ में प्रवाह करती प्राण ऊर्जा के प्रवाह को अभ्यास द्वारा बढ़ा लिया जाये तो सिर्फ सम्मोहन ही नहीं आप दैनिक जीवन किसी को भी अपना बना सकते है. हाथो के पोरुओ से बहने वाली प्राण शक्ति को विकसित कर उसे शक्तिशाली चुंबकीय में बदल कर जड़ पदार्थ को प्रभावित कर सकने की क्षमता होती है. ये क्रिया स्पर्श द्वारा की जाती है. इसके द्वारा किसी प्राणी को भी हम सुविधापूर्वक सम्मोहित कर कर सकते है. सम्मोहन के क्षेत्र में इसे "पास क्रिया" या "पास मार्जन" या फिर अध्यात्म में "रैकी" से जाना जाता है.
Dr. मेस्मेर अनुसार हर इंसान के अंदर दूसरों को अपने हाथो द्वारा प्रभावित करने की क्षमता है. इसलिए हर प्रसिद्ध व्यक्ति BODY ऑफ़ LANGUAGE को ध्यान में रखकर दूसरे लोगो से लोगो पर ध्यान दे तो वो दूसरों से बातचीत के दौरान अपने हाथो ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते है. ये वो दूसरों को प्रभावित करने के लिए और आकर्षण में बांधे रखने के लिए करते है. इसे भारतीय सस्कृति में शक्तिपात कहते है. इसके अभ्यास के लिए जरुरी है पहले जड़ पदार्थो पर अभ्यास किया जाये फिर सजीव / जीवित प्राणी पर किया जाये।
प्राचीन काल से यह शक्ति हर इंसान में मौजूद थी आज भी है. लेकिन जिसने अभ्यास द्वारा बढ़ा लिया उसने इस शक्ति को जाना है. इसका स्पर्श दिल को सुकून देने वाला होता है.बिल्कुल वैसा ही जैसा आपके बुजुर्ग देते वक़्त आपके सिर पर हाथ फेरे तब उसका अहसास कीजिये. ये अहसास ही हमें रैकी के दौरान होता है. जैसे ऊर्जा का प्रवाह एक सिरे से दूसरे सिरे में हो रहा हो. इसीलिए प्राचीन काल में जब कोई ऋषि हमें उसकी कामना पूरी होती है. पूरा करती थी हमारी प्राण ऊर्जा। इसलिए बच्चों को बुजुर्गो पैर लगना उनसे आशीर्वाद लेने जैसे संस्कार दे. क्यों की ये की ये प्राण शक्ति बीमारी, तनाव, और मुश्किल को दूर कर सकती है.
विवेक
अनंत प्रेम
अनंत प्रज्ञा

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