ज्योतिष द्वारा चोरी गयी वस्तू का ज्ञान ...
कभी -कभी घरों में छोटी मोटी चोरी की घटना घट जाती है।
तब एक छट -पटाहट सी रहती है ,चोर कौन हो सकता है।
ज्योतिष द्वारा इसका सटीक पता प्रश्न कुंडली से लगाया
जाता है।
जब भी चोरी का पता लगता है उस समय को नोट कर लीजिये।
अगर किसी को जन्मकुंडली देखने का ज्ञान है तो ठीक है नहीं
तो किसी भी ज्योतिष के पास समय को बता कर समस्या का
समाधान किया जा सकता है।
चोरी होने की सूचना मिलते ही तुरंत प्रश्न कुंडली बनायें।
मेष या वृषभ लग्न ----पूर्व दिशा
मिथुन लग्न ----- अग्नि कोण
कर्क लग्न ---- दक्षिण
सिंह लग्न ------------ नैरित्य कोण
कन्या लग्न --------- उत्तर दिशा
तुला और वृश्चिक लग्न -- पश्चिम दिशा
धनु लग्न ------------ वायव्य कोण
मकर और कुम्भ लग्न ---उत्तर दिशा
मीन लग्न ------------इशान कोण
उपरोक्त लग्नो में खोयी वस्तु ,उसके दिखाए गए लग्नो के सामने
की दिशा में गयी है।
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अब सवाल उठता है चोरी करने वाला कौन हो सकता है तो
नीचे लिखे लग्नो के आधार पर पता लगाया जा सकता है।
मेष लग्न ---ब्राह्मण या सम्मानीय भद्र पुरुष
वृषभ लग्न--क्षत्रिय
मिथुन लग्न -----वेश्य
कर्क लग्न -------शुद्र या सेवक वर्ग
सिंह लग्न ------स्वजन या आत्मीय व्यक्ति
कन्या लग्न---- कुलीन स्त्री ,घर की बहू -बेटी या बहन
तुला लग्न ----पुत्र ,भाई या जमाता
वृश्चिक लग्न-- इतर जाति का व्यक्ति
धनु लग्न ---स्त्री
मकर लग्न ---वेश्य या व्यापारी
कुम्भ लग्न---चूहा
मीन लग्न----खोयी घर में ही पड़ी है कहीं ( मिस-प्लेस )
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यह सब जानने के बाद यह भी प्रश्न उठता है , जो सामान चोरी
हुआ है वह मिलेगा या नहीं ? इसके लिए प्रश्न कुंडली में चंद्रमा
की स्थिति देखी जाती है। यहाँ पर चंद्रमा को मालिक और
सातवें भाव को चोर माना जाता है।चौथे भाव को धन -
प्राप्ति की जगह और लग्न -भाव को चोरी गया सामान
माना जाता है।
1) लग्न -भाव का स्वामी अगर सातवें घर या उसके स्वामी के
साथ हो तो कोशिश करने पर चोरी गया धन मिल जाता है।
2)अगर लग्न -भाव का स्वामी अष्ठम में हो तो चोर खुद ही
चोरी की गयी वस्तु लौटा देगा।लेकिन ग्रह अस्त होगा तो
चोरी का पता चलेगा पर वस्तु नहीं मिलेगी।
3)लग्न-भाव का स्वामी दसवें घर के स्वानी के साथ है तो चोर
माल सहित पकड़ा जायेगा।
4) अगर लग्नेश की दृष्टि दसवें घर के स्वामी पर नहीं पद रही हो
तो चोरी गयी वस्तु नहीं मिलेगी।
5)अगर सातवें घर का स्वामी सूर्य के साथ अस्त हो तो बहुत समय
बाद चोर का तो पता चल जायेगा पर वास्तु नहीं मिलेगी।
6)अगर सप्तमेश और लग्नेश साथ में हो तो चोर राज भय से डर कर
खुद ही माल को दे देता है।
7)अगर सप्तमेश पर लग्नेश की दृष्टि ना पड़ रही हो तो ना चोर
को लाभ लाभ होता है ना मालिक को ,माल को मध्यस्थ ही
हड़प लेता है।
8)प्रश्न कुंडली में अष्ठम भाव चोर के धन रखने का स्थान होता
है इसलिए अगर धन भाव का स्वामी अष्ठम में ही बैठा हो तो
माल नहीं मिलेगा।और अगर धन भाव का स्वामी सप्तम में हो
तो भी माल नहीं मिलता क्यूँ कि "चंद्रास्वामी चोर सप्तम "
के अनुसार सप्तम भाव स्वयं चोर है।
9) धनेश अगर अष्टमेश के साथ हो तो धन मिल जाता है।
10) अगर अष्टमेश ,दशमेश के साथ हो तो राज-पुरुष चोर का
पक्षपाती ही माल नहीं मिलेगा।
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अब चोरी हुई वस्तु कहाँ छिपाई गयी है इस पर विचार करते हैं।
1) लग्नेश और सप्तमेश का आपस में परिवर्तन या दोनों एक ही
भाव में हो तो वस्तु घर में ही कहीं छुपी या छुपाई गयी है।
2) चंद्रमा अगर लग्न में हो तो वस्तु पूर्व दिशा में होगी और अगर
सप्तम में हो तो वस्तु पश्चिम में मिलेगी।चंद्रमा अगर दशम ने हो
तो दक्षिण और चतुर्थ में हो तो वस्तु उत्तर दिशा में मिलेगी।
3) अगर लग्न में अग्नितत्व राशि ( मेष ,सिंह ,धनु ) हो तो वस्तु घर
के पूर्व,अग्नि -स्थान , रसोई घर में ही मिल जाती है।
4 ) लग्न में अगर पृथ्वी -तत्व राशि ( वृषभ ,कन्या ,मकर ) हो तो
वस्तु दक्षिण दिशा में भूमि में दबी मिलेगी।
5 ) अगर लग्न में वायु -तत्व राशि ( मिथुन ,तुला कुम्भ ) हो तो
वस्तु पश्चिम दिशा में हवा में लटकाई गयी है।
6 )लग्न में जल-तत्व राशि ( कर्क ,वृश्चिक ,कुम्भ ) हो तो वस्तु
जलाशय के पास या उसके आस-पास उत्तर दिशा में मिलेगी।
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ग्रहों के हिसाब से चोर कौन है और कितनी उम्र का है ये भी
पता लगाने की कोशिश करते हैं।
1) प्रश्न -कुंडली में यदि लग्न पर सूर्य-चन्द्र दोनों की दृष्टि पड़
रही हो तो वस्तु किसी घर के व्यक्ति ने ही चुराई है।और यदि
लग्नेश ,सप्तमेश से युक्त हो कर लग्न में हो तो भी चोरी किसी
घर के व्यक्ति ने ही की है।
2)लग्न पर सूर्य या चन्द्र किसी एक ही की दृष्टि पड़ रही हो
तो वस्तु किसी आस पास रहने वाले व्यक्ति ने चुराई है।
3)अगर सप्तमेश द्वादश या तृतीय स्थान में हो तो घर के नौकर ने
चोरी की है।
4 )अगर सप्तमेश स्वग्रही या अपनी उच्च राशि में हो तो चोरी
पेशेवर चोर ने की है। यहाँ पर चोर की शक्ति का ज्ञान
लग्न,सप्तम और दशम भाव के बल के अनुसार करना चाहिए।
5) प्रश्न -कुंडली में अगर सूर्य बलवान हो तो पिता या
पितातुल्य व्यक्ति ,चंद्रमा बलि हो तो माँ या मातातुल्य
महिला ,शुक्र बली हो तो महिला ,वृहस्पति बलि हो तो घर के
मालिक ने ,शनि बलि हो तो पुत्र ने और मंगल बलि हो तो भाई
या सगा भतीजा तथा बुध बलवान हो तो मित्र या मित्र -
सम्बन्धियों ने चोरी की है।
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लग्न में अगर शुक्र ----युवक
बुध ---बालक
गुरु -----वृद्ध
मंगल--युवक
शनि -वृद्ध चोर है।
लग्न और दशम भाव के मध्य सूर्य है तो चोर बालक है। दशम भाव
और सप्तम भाव के मध्य सूर्य हो तो चोर युवक है। लग्न और चतुर्थ
भाव के मध्य सूर्य हो तो चोर अत्यंत वृद्ध है।