आज भगवान परशुराम का अवतरण दिवस है, और अक्षय तृतीया भी है। आप सभी ने परशुराम के फरसे की कहानी सुनी है, और उनके उग्र रूप को जाना है, लेकिन उनके जीवन का मुख्य भाग है, वो अद्वैत की साधना का, उससे आप कम ही परिचित होंगे। भगवान दत्तात्रय से प्राप्त विद्या के द्वारा परशुराम ने अद्वैत की साधना की, और श्री विद्या के सरल साधना क्रम को विकसित किया। उनका उत्तरार्ध जीवन साधना पथ में ही आगे बढ़ा।
न बुद्धि-भेदं जनयेदज्ञानां कर्म संगिनाम्।
"लोकान्न निंद्यात्' इति श्रुतिरपि।
संसार में जितने दर्शन हैं, किसी की निन्दा नही करनी चाहिए।
बहुत से ऐसे दर्शन और शास्त्र हैं, जो अन्यान्य देवोपासना का विधान करते है, उनकी निन्दा कभी नही करनी चाहिए। निन्दा से उनके अनुयायियों में भेद उतपन्न होने की संभावना होती है। किसी की आस्था को कमज़ोर करना बड़ा भारी दोष है। इससे जैसे बिखरे बादल नष्ट हो जाते है, उसी तरह खुद का और दूसरों का विश्वास कमज़ोर होने से दोनों भ्रष्ट हो जाते है।
परशुराम काल्पसूत्र
अक्षय तृतीया
जो क्षय नहीं होती उसे अक्षय कहते हैं। वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्त मानी गई है, जो कभी क्षय नहीं होती उसे अक्षय कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि अक्षय तृतीया की यह तिथि पुण्यदायी है।
इस दिन पूजा-पाठ और व्रत रखने के साथ ही दान करने का महत्व भी काफी अधिक है। ऐसा करने से जीवन मे सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आज के दिन किसी ज़रूरत मंद की ज़रूर मदद करे।
आप सभी के जीवन मे अक्षय समृद्धि, अक्षय ज्ञान आये यही कामना है।
अक्षय तृतीया आज है या कल?
कई स्थान में इसे आज और कई स्थान म् कल बना रहे है।
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारम्भ आज 14 मई को प्रात: 05:38 बजे से हो गया है। इसका समापन 15 मई को प्रात: 08.00 बजे होना है। अक्षय तृतीया, अपरान्ह व्यापिनी मानी गयी है, इसलिए आज के ही दिन का महत्व है।
विवेक
अनंत प्रेम
अनंत प्रज्ञा