प्रार्थना से बूरे परमाणुओ को अच्छे में बदले : इमोटो के प्रयोग
जीवन एक ऊर्जा है, अर्थात् हमारा पूरा जीवन कम्पन से बना है। कम्पनों में एक विशेषता होती है कि एक तरह के कम्पन दूसरे पदार्थ में अपने जैसे कम्पन पैदा करते है। भौतिक विज्ञान में इस प्रक्रिया को अनुनाद (resonance) कहते है। अर्थात् हम अपने कम्पनों के अनुरूप दूसरों में अपने जैसे कम्पन पैदा कर सकते है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण जापानी डाॅ. इमोटो ने पानी पर करके दिखाया है।
श्री मसारू इमोटो ने ‘‘द मैसेज फ्रोम वाॅटर’’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक में पानी पर प्रार्थना के कई प्रयोगों का वर्णन किया है। पानी को माइनस बीस डीग्री सेल्सीयस तापमान पर जमा कर उसके क्रिस्टलों के फोटो खीचें। इससे उनके क्रिस्टलों की रचना प्रकट होती है। श्री इमोटो ने फूजिवाड़ा बांध के पानी के निम्न तापमान पर जमे क्रिस्टलों के फोटो लिये। तब पानी के क्रिस्टल्स बिखरे-बिखरे थे एवं क्रिस्टल्स में समानता नहीं थी, वे सभी अनुपात में नहीं थे। एक सामूहिक प्रार्थना का आयोजन करने के बाद इसी पानी को पुनः निम्न तापमान पर जमा कर उनके क्रिस्टलों के फोटो लिए तो वे निश्चित आकार में सुन्दर तरीके से जमे हुए मिले।
प्रार्थना के बाद वहीं क्रिस्ट्लस सुन्दर रूप में जम गए। इस पर पहले की तुलना में क्रिस्टलों का आकार बेहतर था। यह सकारात्मकता का परिणाम है। इससे स्पष्ट होता है कि अच्छे विचारों का पदार्थ पर भी प्रभाव पड़ता है। प्रार्थना से जब पदार्थ बदल जाता है तो इन्सान क्यों नहीं बदल सकता है? यह प्रार्थना की शक्ति को दर्शाता है।
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