Wednesday, February 17, 2021

BINDU CHAKRA


सभी दिव्यात्माओं को आत्मनमन, आप सब ने मेरी पिछली पोस्ट में चंद्र बिंदु और उसको मूलाधार के शिवलिंग तक पहुचाने के ध्यान के बारे में पढ़ा,बहुत से लोगो ने बिंदु चक्र और उसके प्रवाह के विषय में पूछा,पेश है उसी कड़ी में अगली पोस्ट।

विवेक
चंद्र बिन्दु चक्र सिर के शीर्ष जहा पर पंडित लोग चोटी रखते है वहा स्थित है। बिन्दु चक्र में २३ पंखुडिय़ों वाला कमल होता है। इसका प्रतीक चिह्न चन्द्रमा है, जो वनस्पति की वृद्धि का पोषक है। भगवान कृष्ण ने कहा है : ''मैं मकरंद कोष चंद्रमा होने के कारण सभी वनस्पतियों का पोषण करता हूं" (भगवद्गीता १५/१३)। इसके देवता भगवान शिव हैं, जिनके केशों में सदैव अर्धचन्द्र विद्यमान रहता है। मंत्र है शिवोहम्(शिव हूं मैं)। यह चक्र रंगविहीन और पारदर्शी है।
बिन्दु चक्र स्वास्थ्य के लिए एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है, हमें स्वास्थ्य और मानसिक पुनर्लाभ प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करता है। यह चक्र नेत्र दृष्टि को लाभ पहुंचाता है, भावनाओं को शांत करता है और आंतरिक सुव्यवस्था, स्पष्टता और संतुलन को बढ़ाता है। इस चक्र की सहायता से हम भूख और प्यास पर नियंत्रण रखने में सक्षम हो जाते हैं, और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाने की आदतों से दूर रहने की योग्यता प्राप्त कर लेते हैं। बिन्दु पर एकाग्रचित्तता से चिन्ता एवं हताशा और अत्याचार की भावना तथा हृदय दमन से भी छुटकारा मिलता है।
बिन्दु चक्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, स्फूर्ति और यौवन प्रदान करता है, क्योंकि यह "अमरता का मधुरस" (अमृत) उत्पन्न करता है। यह अमृत रस ललना चक्र में आकर जमा होकर रहता है,और विशुद्ध चक्र में शुद्ध होता है, यदि विशुद्ध चक्र जागृत नहीं है तो ये मणिपुर चक्र में जाके व्यर्थ होने लगता है। जहां यह शरीर द्वारा पूरी तरह से उपयोग में लाए बिना ही जठराग्नि से जल जाता है।
इसी कारण प्राचीन काल में ऋषियों ने इस मूल्यवान अमृतरस को संग्रह करने का उपाय सोचा और ज्ञात हुआ कि इस अमृतरस के प्रवाह को जिह्वा और विशुद्धि चक्र की सहायता से रोका जा सकता है। जिह्वा में सूक्ष्म ऊर्जा केन्द्र होते हैं, इनमें से हरेक का शरीर के अंग या क्षेत्र से संबंध होता है। उज्जाई प्राणायाम और खेचरी मुद्रा योग विधियों में जिह्वा अमृतरस के प्रवाह को मोड़ देती है और इसे विशुद्धि चक्र में जमा कर देती है। एक होम्योपैथिक दवा की तरह सूक्ष्म ऊर्जा माध्यमों द्वारा यह संपूर्ण शरीर में पुन: वितरित कर दी जाती है, जहां इसका आरोग्यकारी प्रभाव दिखाई देने लगते हैं।
खेचरी मुद्रा से ऊर्जा का प्रवाह एक वर्तुल के रूप में होने लगता है। वोही सोम रस मूलाधार तक पहुच के फिर ऊपर उठने लगता है ध्यान में। शेष अगली पोस्ट में।
विवेक
अनंत प्रेम
अनंत प्रज्ञा

MANTRA JAGRUTI METHOD

सभी दिव्यात्माओं को आत्मनमन, आपने अलग अलग बहूत से मंत्रो का जाप किया होगा, लेकिन कई बार लाखो जाप के बाद भी मंत्र सिद्ध नहीं हो पाते, ऐसी परिस्थति में क्या किया जाये??
विवेक
इसके लिए हमारे शास्त्रो में मंत्र संस्कार का विधान है, इसके क्रिया के द्वारा ऐसा कोई मन्त्र नहीं जो सिद्ध ना किया जा सके। मंत्र संस्कार की गुप्त और संक्षिप्त जानकारी नीचे पोस्ट कर रहा।

मंत्र संस्कार
मंत्र जाप करने के भी कुछ नियम होते हैं। यदि आप उन नियमों का पालन करेंगे तो आपके घर में न केवल सुख-शांति आयेगी, बल्कि आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। ऐसे में आपको मंत्र संस्कार के बारे में भी जानना चाहिये। जातक को दीक्षा ग्रहण करने के बाद दीक्षिति को चाहिए कि वह अपने इष्ट देव के मंत्र की साधना विधि-विधान से करें। किसी भी मंत्र की साधना करने से पूर्व, उस मंत्र का संस्कार अवश्य करना चाहिए।
शास्त्रों में मंत्र के 10 संस्कार वर्णित है। मंत्र संस्कार निम्न प्रकार से है- 1-जनन, 2-दीपन, 3- बोधन, 4- ताड़न, 5- अभिषेक, 6-विमलीकरण, 7- जीवन, 8- तर्पण, 9- गोपन, 10-अप्यायन।
1-जनन संस्कार:- गोरचन, चन्दन, कुमकुम आदि से भोजपत्र पर एक त्रिकोण बनायें। उनके तीनों कोणों में छः-छः समान रेखायें खीचें। इस प्रकार बनें हुए 99 कोष्ठकों में ईशान कोण से क्रमशः मातृका वर्ण लिखें। फिर देवता को आवाहन करें, मंत्र के एक-एक वर्ण का उद्धार करके अलग पत्र पर लिखें। इसे जनन संस्कार कहा जाता है।
2- दीपन संस्कार:- ’हंस’ मंत्र से सम्पुटित करके1 हजार बार मंत्र का जाप करना चाहिए।
3- बोधन संस्कार:- ’हूं’ बीज मंत्र से सम्पुटित करके 5 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
4- ताड़न संस्कार:-’फट’ से सम्पुटित करके 1हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
5- अभिषेक संस्कार:- मंत्र को भोजपत्र पर लिखकर ’ऊँ हंसः ऊँ’ मंत्र से अभिमंत्रित करें,तत्पश्चात 1 हजार बार जप करते हुए जल से अश्वत्थ पत्रादि द्वारा मंत्र का अभिषेक संस्कार करें।
6- विमलीकरण संस्कार:- मंत्र को ’ऊँ त्रौं वषट’इस मंत्र से सम्पुटित करके 1 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
7- जीवन संस्कार:- मंत्र को ’स्वधा-वषट’ से सम्पुटित करके 1 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
8- तर्पण संस्कार:- मूल मंत्र से दूध,जल और घी द्वारा सौ बार तर्पण करना चाहिए।
9- गोपन संस्कार:- मंत्र को ’ह्रीं’ बीज से सम्पुटित करके 1 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
10- आप्यायन संस्कार:- मंत्र को ’ह्रीं’ सम्पुटित करके 1 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए। इस प्रकार दीक्षा ग्रहण कर चुके जातक को उपरोक्त विधि के अनुसार अपने इष्ट मंत्र का संस्कार करके,नित्य जाप करने से सभी प्रकार के दुःखों का अन्त होता है।
विवेक
अनंत प्रेम
अनंत प्रज्ञा

MANTRA FOR THE COUPLE TO HAVE A BABY


सभी दिव्यात्माओं को आत्मनमन, वैवाहिक विघटन को टालने की पवमान शुक्तं की पोस्ट आपने पढ़ी होगी, बहुत से लोगो के आग्रह पर ये पोस्ट हिंदी में, उन लोगों के लिए जो संतान सुख से वंचित है। मैं सम्पूर्ण आस्था और निसंकोच भाव से ये कहना चाहता हूँ, की किसी भी प्रयोग अथवा मंत्र जप की सार्थकता आपको अपनी उपयुक्त ऊर्जा का उपयोग करने में ही है, मंत्र शक्ति द्वारा आराधना तथा निरंतर जप के प्रभाव से व्यक्ति के भीतर सन्निहित ऊर्जा, ओजस तथा शक्ति, कामना की संसिद्धि की स्थिति निर्मित कर देती है, अतःकिसी भी मंत्र प्रयोग के संपादन से पूर्व अखंडित विस्वास तथा आस्था की अनिवार्यता असन्दिग्ध है।

निम्नलिखित मंत्रो से जल अभिमंत्रित करके संतान सुख से वंचित स्त्री पिये, इससे गर्भ दोषो की निवृत्ति और गर्भ धारण करने की क्षमता प्राप्त होती है। ये मंत्र अथर्व वेद से लिए गए है, और अनुभव सिद्ध है।
विवेक
संतान प्राप्ति के लिए मंत्र ( अथर्व वेद)
येन वेहद लभुविथ नाशयामसि तत् त्वत
इदं तदन्यत्र त्वदहं दूरे नी दक्ष्मसि ।। 1
आ ते योनि गर्भ एतु पुमान बाणईवेषुधिम्
आ दिरो अत्र जायतो पुत्रस्ते दशमाक्य:।। 2
पूमांसं पुत्र जनय तं पुमाननू जायतं।
भवासि पुत्राणां माता जानानां जनयाश्च यान् ।। 3
यानी भद्राणि बीजन्यृषभा जनयन्ति च।
तैस्त्वं पुत्रं विन्दस्व प्रसूर्धेनुका भव ।। 4
कृणोमि ते प्रजापत्यमा योनि गर्भ एतु ते
विदस्व त्वं पुत्रं नारि यस्तुभ्यं शशसच्चसु तश्मे त्वं भव।। 5
यासां द्योष्पिता पृथ्वी नाता समुद्रो सूलं विरधां वभूव।
तास्त्वा पुत्रविद्याय दैवी: प्रावन्त्वौषधयः।। 6
(अथर्व वेद 3/42)
शमीमश्वत्था आरूढ़स्तत्र पुसवनं कृतम
तद् वै पुत्रस्य वेदन तद् स्त्रीष्वाभरामसि।। 7
पुंसि वै रेतो भवति तत् स्त्रीयामनुषिच्यतै
तद् वै पुत्रस्य वेदन तत् प्रजापतिर ब्रवित्।। 8
प्रजापतिर सुमतिः सिनीवाल्य चीक्लृ पन्।
स्त्रैयूषमन्यत्र दधत् पुमांससु दधदिह।। 9
( अथर्व वेद 6/11)
वन्तासि यच्चसे हस्तावप रक्षांसि मेधसि
प्रजां धनं च गुट्ठणानः परिहस्तो अभूययम्।। 10
परिहस्त वि धारय योनि गर्भाय घातवे।
मर्यादे पुत्रमा धेहि त्वमा गमयागमे।। 11
य परिहस्तमनिभरदितिः पुत्रकाम्या।
त्वष्टा तमस्या आ वध्नाद् तथा पुत्रं जनादिति।। 12
(अथर्व वेद 6/81)
विवेक
अनंत प्रेम
अनंत प्रज्ञा

PEACOCK FEATHERS REMEDIES


सभी दिव्यात्माओं को आत्मनमन, मोर पंख अपने आप में बहुत से रहस्य समेटे हुई है, उसके शक्तिशाली ऊर्जा को सही दिशा में प्रयोग करके हम बहुत से असाध्य कार्य सिद्ध कर सकते है, आज आपके सामने उसके अद्भुत प्रयोग दे रहा, गृह बाधा निवारण के लिए।

विवेक
ग्रह बाधा से मुक्ति
यदि आप पर कोई ग्रह अनिष्ट प्रभाव ले कर आया हो....आपको मंगल शनि या राहु केतु बार बार परेशान करते हों तो मोर पंख को 21 बार मंत्र सहित पानी के छीटे दीजिये और घर में या वाहन में या गद्दी पर स्थापित कीजिये..
कुछ प्रयोग निम्न हैं सूर्य की दशा से मुक्ति
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रविवार के दिन नौ मोर पंख ले कर आयें पंख के नीचे रक्तबर्ण मेरून रंग का धागा बाँध लेँ एक थाली में पंखों के साथ नौ सुपारियाँ रखें गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ये मंत्र पढ़ें ॐ सूर्याय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा: दो नारियल सूर्य भगवान् को अर्पित करें लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाएं
चंद्रमा की दशा से मुक्ति
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सोमवार के दिन आठ मोर पंख ले कर आयें पंख के नीचे सफेद रंग का धागा बाँध लेँ एक थाली में पंखों के साथ आठ सुपारियाँ रखें गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ये मंत्र पढ़ें ॐ सोमाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा: पांच पान के पत्ते चंद्रमा को अर्पित करें बर्फी का प्रसाद चढ़ाएं
मंगल की दशा से मुक्ति
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मंगलवार के दिन सात मोर पंख ले कर आयें पंख के नीचे लाल रंग का धागा बाँध लेँ एक थाली में पंखों के साथ सात सुपारियाँ रखें गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ये मंत्र पढ़ें ॐ भू पुत्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा: दो पीपल के पत्तों पर अक्षत रख कर मंगल ग्रह को अर्पित करें बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं
बुद्ध की दशा से मुक्ति
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बुद्धबार के दिन छ: मोर पंख ले कर आयें पंख के नीचे हरे रंग का धागा बाँध लेँ एक थाली में पंखों के साथ छ: सुपारियाँ रखें गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ये मंत्र पढ़ें ॐ बुधाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा: जामुन अथवा बेरिया बुद्ध ग्रह को अर्पित करें केले के पत्ते पर मीठी रोटी का प्रसाद चढ़ाएं
बृहस्पति की दशा से मुक्ति
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बीरवार के दिन पांच मोर पंख ले कर आयें पंख के नीचे पीले रंग का धागा बाँध लेँ एक थाली में पंखों के साथ पांच सुपारियाँ रखें गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ये मंत्र पढ़ें ॐ ब्रहस्पते नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा: ग्यारह केले बृहस्पति देवता को अर्पित करें बेसन का प्रसाद बना कर चढ़ाएं
शुक्र की दशा से मुक्ति
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शुक्रवार के दिन चार मोर पंख ले कर आयें पंख के नीचे गुलाबी रंग का धागा बाँध लेँ एक थाली में पंखों के साथ चार सुपारियाँ रखें गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ये मंत्र पढ़ें ॐ शुक्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा: तीन मीठे पान शुक्र देवता को अर्पित करें गुड चने का प्रसाद बना कर चढ़ाएं
शनि की दशा से मुक्ति
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शनिवार के दिन तीन मोर पंख ले कर आयें पंख के नीचे काले रंग का धागा बाँध लेँ एक थाली में पंखों के साथ तीन सुपारियाँ रखें गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ये मंत्र पढ़ें ॐ शनैश्वराय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा: तीन मिटटी के दिये तेल सहित शनि देवता को अर्पित करें गुलाबजामुन या प्रसाद बना कर चढ़ाएं
राहु की दशा से मुक्ति
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शनिवार के दिन सूर्य उदय से पूर्व दो मोर पंख ले कर आयें पंख के नीचे भूरे रंग का धागा बाँध लेँ एक थाली में पंखों के साथ दो सुपारियाँ रखें गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ये मंत्र पढ़ें ॐ राहवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा: चौमुखा दिया जला कर राहु को अर्पित करें कोई भी मीठा प्रसाद बना कर चढ़ाएं
केतु की दशा से मुक्ति
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शनिवार के दिन सूर्य अस्त होने के बाद एक मोर पंख ले कर आयें पंख के नीचे स्लेटी रंग का धागा बाँध लेँ एक थाली में पंख के साथ एक सुपारी रखें गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ये मंत्र पढ़ें ॐ केतवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा: पानी के दो कलश भर कर केतु को अर्पित करें फलों का प्रसाद चढ़ाएं
विवेक
अनंत प्रेम
अनंत प्रज्ञा

MANTRA RAHSHYA

सभी दिव्यात्माओं को आत्मनमन, आपने हर मंत्र के बाद नमः, स्वाहा, फट आदि शब्दो का प्रयोग देखा होगा, आज इन्ही के रहस्य से जुड़ा ये लेख है।


मंत्र रहस्य
विवेक
मन्त्रो के अन्त से पल्लव, पताका आदि के नाम से जो सांकेतिक शब्द लगते है, वही साधक की चित्तवृत्ति को प्रभावित किया करते है। वे सांकेतिक शब्द ये है:-
1. नमः :-- शब्द साधक को विनयशीलता का भाव प्रदान करता है।अन्तःकरण को शान्त अवस्था में नमः शब्द का प्रयोग होता है।
2.स्वाहा :-- जो साधक यथाशक्ति अपनी शक्तियों का उपयोग परोपकार के लिए करता है। परोपकार रत साधक परहित के लिए अपने आपको स्वाहा कर देता है, वह अपने विरोधियों, निन्दकों की विरोधी, ईर्ष्यालु भावनाओं को निरस्त कर उन पर पूरा अधिकार पा लेता है।
3.वषट् :-- जिस मन्त्र के अन्त में वषट् लगा रहता है उसकी साधना करने वाले साधक के अन्तःकरण की उस वृत्ति का वषट् लक्ष्य कराता है जो अपने विरोधियों, शत्रुओं के अनिष्ट साधन में अथवा उनके प्राणहरण के लिए तत्पर रहता है।
4.वौषट् :-- साधक अपने शत्रुओं के हृदयो में जब परस्पर राग- द्वेष उत्पन्न कराने की प्रबल भावना रखता है तब उसे मन्त्र की साधना करनी चाहिए जिसके अन्त में वौषट् रहता है।
5. हूँ :- यह सांकेतिक बीज साधक के शत्रुओं का उच्चाटन कराने और उनके प्रति भयंकर क्रोध का भाव रखने का ज्ञापक है।
6. फट् :- साधक जब अपने शत्रुओं के प्रति शस्त्र प्रयोग करने का भाव रखता है तब वह उस मन्त्र की साधना करता है, जिसके अन्त में फट् रहता है।
उपर्युक्त सांकेतिक शब्दों का विस्तृत वर्णन उड्डीस तन्त्र में मिलता है और महानिर्वाण तन्त्र में इन्ही सांकेतिक शब्दों का प्रयोग अंग्न्यास और करन्यास के लिए किया गया है।तन्त्र शास्त्र के अतिरिक्त उपर्युक्त सांकेतिक शब्दों के प्रयोग वेद मन्त्रो में भी अधिकता से मिलते है।
विवेक
अनंत प्रेम
अनंत प्रज्ञा

THE INNER SOLAR SYSTEM


Atma namste dear divine soul, all the planet can be balance by balancing the chakra. There is a deep relation between them. Sharing a deep article, hope it will help u a lot.

Vivek
THE INNER SOLAR SYSTEM
The sun and moon are all known in the topic and tantrik thought as right and left eyes of the cosmic person and relates to the two peteal of Ajna chakra. They show our consciousness of masculine and feminine, or ida and pingala, or solar and lunar channel, or yin or yang.
Mercury is well known for ruler of speech and intellect, and is related to throat chakra.
Venus is related to love and and affection and is related to heart chakra. Mars rule the navel centre and drive passion. Jupiter rule the creative energy, or potential to expland, Saturn rule elimination. Rahu and ketu in their role of shadowing of sun and moon relate to ida and pingala.
The prana and life force energy moves into the six sign of zodiac from Aquarius to cancer. The ascending movement relates to inhalation and cooling energy.
The energy moving down follos from leo to Capricon, it can be called as solar half of the zodiac. It is related to exhalation and warming up the body.
The ancient vedic Yoga and solar religion of the entire ancient world speak of the resurrection of the sun out of darkness or building up of the circle of the sun. This is the process of taking our life force and intelligence, our soul or our inner sun, out of the cycle of ignorance, death, time and breath into the super consciousness and breathless stage.,
Vivek
Infinite love
Infinite wisdom.

QUANTUM ENTANGLEMENT, CONSCIOUSNESS AND INTERCONNECTEDNESS OF THE UNIVERSE

Atma namste dear divine souls, I would like to share a mysterious finding of quantum physics. A phenomenon called quantum entanglement.

Vivek

QUANTUM ENTANGLEMENT, CONSCIOUSNESS AND INTERCONNECTEDNESS OF THE UNIVERSE.
“Entanglement is so strange, Einstein famously called it spooky action at a distance. ”
This is not just a theory - experiments prove it!
It's possible to get two tiny particles and 'entangle' them. They then have opposite 'spins'.
When you entangle two particles, you can separate them out as far as you wish - let's say we separate them a billion billion light years apart.
The amazing thing is this...if I change the spin of one of the particles, the spin of the other particle billions and billions of light years away, changes INSTANTANEOUSLY!
Not at the speed of light, but instantly.
This is an incredible finding. Up to this time, science thought nothing can travel faster than the speed of light.
How We Could Be Connected To Everyone!
Or we can say, We all are one!
There is some kind of underlying way in which the whole universe can be connected. In some way, everything is connected to everything else and able to influence each other instantly.
So, if quantum phenomena is connected to consciousness, our consciousness could have an immediate effect on another person on the planet, or even on an alien on the other side of the universe, immediately.
This means, if you are 'entangled' or have a connection with someone else on the planet, and you send them compassion and loving kindness in your mind and heart, you could have an immediate positive effect on that person. They effortlessly transform in that moment.
That's why I always say, consciousness can create the reality, and it is necessary for us to remain always aware about our every though and action. A healer can bring a positive change in the universe. Be a medium of divine compassion.
Vivek
Infinite love
Infinite wisdom

क्या भगवान राम ने भी की थी तांत्रिक उपासना?

 क्या भगवान राम ने भी की थी तांत्रिक उपासना? क्या सच में भगवान राम ने की थी नवरात्रि की शुरूआत ? भागवत पुराण में शारदीय नवरात्र का महत्‍व बह...