Tuesday, February 16, 2021

NAVARN MANTRA RAHASHYA


सभी दिव्यात्माओं को आत्मनमन, नवार्ण की मंत्र की ध्यान साधना हमने की, उसी क्रम में एक और अद्धभूत प्रयोग सर्व कार्यसिद्धि के लिए आप से शेयर कर रहा, इसे आप आज से चालू कर सकते है।

विवेक
नवार्ण-मन्त्रः- “ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।”
‘ऐं’ – बीजमादीन्दु – समान – दीप्तिम् । ‘ह्रीं’ सूर्य – तेजो – द्युतिं द्वितीयम् ।।
‘क्लीं’ - मूर्तिः वैश्वानर – तुल्य – रुपम् । तृतीयमानन्द – सुखाय चिन्त्यम् ।।१
‘चां’ शुद्ध – जाम्बु – वत् – कान्ति – तुर्यम् । ‘मुं’ पञ्चमं रक्त – तरं प्रकल्पयम् ।।
‘डां’ षष्ठमुग्रार्ति – हरं सु – नीलम् । ‘यैं’ सप्तमं कृष्ण – तरं रिपुघ्नम् ।।२
‘विं’ पाण्डुरं चाष्टममादि – सिद्धिम् । ‘चें’ धूम्र – वर्णं नवमं विशालम् ।।
एतानि बीजानि नवात्मकस्य । जपेत् प्रद्युः सकल – कार्य – सिद्धिम् ।।३
विधिः- सकल कार्य की सिद्धि – सफलता हेतु, लक्ष्मी – प्राप्त्यर्थ या किसी कार्य में विघ्न निवारण के लिए उक्त अमोघ प्रयोग है।
उक्त ३ श्लोक का कम-से-कम १०८ पाठ नित्य प्रातः – सायं, घृत – दीपक के सामने, रक्त – आसन पर बैठकर, २१ दिनों तक करें।
यह साधना शुक्ल पक्ष अष्टमी, नवमी या चौदस से अथवा किसी भी शुभ दिन से प्रारम्भ की जा सकती है।
विवेक
अनंत प्रेम
अनंत प्रज्ञा

No comments:

Post a Comment

क्या भगवान राम ने भी की थी तांत्रिक उपासना?

 क्या भगवान राम ने भी की थी तांत्रिक उपासना? क्या सच में भगवान राम ने की थी नवरात्रि की शुरूआत ? भागवत पुराण में शारदीय नवरात्र का महत्‍व बह...