रेकी कैसे कार्य करती है?
विवेक
हमारे शरीर में ठोस ऊर्जा क्षेत्र है, जिसे हम भौतिक शरीर कहते हैं और कुछ कम सघन ऊर्जा क्षेत्र है जिन्हें सूक्ष्म ऊर्जा क्षेत्र कहा जाता है। ये सूक्ष्म ऊर्जा क्षेत्र प्रकाश की गति से भी तेज गति में गतिशील होते हैं और उससे कम में भी गतिशील हो सकते हैं,जिसका कारण मानव अवस्था के विविध आयाम होते हैं।
ये सूक्ष्म गतिमान ऊर्जा क्षेत्र प्रकाश की गति से तीव्र गति से शरीर में आ सकते हैं। ये ऊर्जा क्षेत्र हमारे भावनात्मक, मानसिक और भौतिक शरीर की संरचना और क्रियाशीलता के कारक बनते हैं। भौतिक स्तर पर जब इन सूक्ष्म गतिमान ऊर्जा क्षेत्रों में ऊर्जा भर जाती है, तो शरीर में सुसंगतता आ जाती हैं।
जब ये ऊर्जा क्षेत्र समन्वित रहते हैं तब ये एंजाइम,प्रोटीन संरचनाओं और जिवाणुओं का विभाजन करने का कार्य करते हैं। जब रक्ताणुओं का ठीक से विभाजन होता है और वे अपना कार्य सुचारु रूप से करते हैं तो अंत:स्त्रावी ग्रंथियां,शरीर के अन्य अंग और कोशिकाएं भी ठीक ढंग से काम करती हैं और हम निरोग होते हैं -पूर्ण स्वस्थ होते हैं।
इसके विपरीत यदि भावनात्मक, मानसिक या अध्यात्मिक दबाव अथवा जिंदगी में असंतुलनों के कारण इन सूक्ष्म ऊर्जा क्षेत्रों की गति कम हो जाती हैं, तो शरीर में असंतुलन आ जाते हैं और हमें रोग घेर लेते हैं।
रेकी की ऊर्जा सूक्ष्म गतिमान क्षेत्रों को संतुलित करके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं। ये सूक्ष्म शरीर और चक्रों में संतुलन लाकर ये कार्य करती हैं।
जब सूक्ष्म शरीर और चक्र एक प्रवाह धारा में नहीं होते तो इसमें ईश्वर प्रदत्त सार्वभौम जीवनी शक्ति नहीं पहुंचती,जब ये रेकी द्वारा एक सीध में आ जाते हैं, तो ऊर्जा का निर्बाध प्रवाह संभव हो जाता है।
रेकी उपचार सीखने के लिये न तो कई महीनों तक अध्ययन करने की आवश्यकता होती हैं और न व्यक्ति को ऊत्तम बौद्धिक समझ होने की आवश्यकता होती हैं। इसकी विशेषता इसका सरल होना है।
रेकी ऊर्जा उपचार प्रत्येक व्यक्ति को आध्यात्मिकता की ओर सतत प्रयासरत होने की दिशा में उन्मुख करता है। इसका प्रशिक्षण लेने के बाद वे तेजी से अध्यात्मिक छलांग लगाते हैं।प्रशिक्षण पाने वाले में अनेक प्रकार के भावनात्मक और अध्यात्मिक परिवर्तन आते हैं।
रेकी उपचार सीखकर खुद का उपचार २१ दिन करके इसका शुभारंभ होता है।
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